Sunday, September 15, 2024

डीयू एसओएल में स्टडी मटेरियल के लिए छात्रों को घंटों लाइन में खड़े! बड़ी संख्या में छात्रों को अभी भी नहीं मिला मटेरियल!

क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) स्टडी मटेरियल के वितरण में भारी कुप्रबंधन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) प्रशासन की कड़ी भर्त्सना करता है। यह ध्यान दिया जाए कि प्रथम वर्ष के छात्रों को अभी तक उनका स्टडी मटेरियल नहीं मिला है जो यूजीसी नियमों का घोर उल्लंघन है। हर दिन, हजारों छात्रों को अपने स्टडी मटेरियल के लिए एसओएल केंद्रों के बाहर लाइन में लगना पड़ रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे विद्यार्थियों को घंटों धूप में खड़े रहने के बाद बिना सामग्री दिए ही भगा दिया जाता है। कल, केशवपुरम एसओएल केंद्र में हजारों छात्रों को लौटा दिया गया। एसओएल के लचर इंतजाम के कारण उन छात्रों को किताबें नहीं मिलीं, जिन्हें अपॉइन्टमेन्ट दिया गया था। साथ ही, एसओएल स्टाफ और सुरक्षा कर्मचारियों ने छात्रों और उनके अभिभावकों के साथ दुर्व्यवहार भी किया। छात्रों की एक बड़ी संख्या उनकी थी जो दूर-दराज के इलाकों से अपनी किताबें लेने आए थे। यही स्थिति आज भी थी। छात्रों की नियुक्तियाँ अचानक रद्द कर दी गईं, और छात्राओं को केंद्र के बाहर घंटों तक लाइन में खड़ा रहने के लिए मजबूर किया गया।
इस संबंध में, यह ज्ञात हो कि केवाईएस ने कल भारी फीस बढ़ोतरी के खिलाफ डीयू एसओएल प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। एसओएल में पढ़ाई व सुविधाओं की बेकार हालत के बावजूद यह फीस बढ़ाई गई है। एसओएल द्वारा 2024-25 सत्र में सभी कोर्सों में 1 हजार से 2 हज़ार रुपए तक फीस बढ़ाई गई है। यह फीस बढ़ोतरी कोविड-19 के बाद से लगातार चल रही है। 2021 में मनमाने तरीके से फीस लगभग दोगुनी कर दी गई थी। अब, हर साल, फीस में बढ़ोतरी की जा रही है। विडंबना है कि विभिन्न कोर्सों के लिए ली जा रही फीस रेगुलर कॉलेजों में फीस से भी ज्यादा है।
उदाहरण के लिए, बीए (ऑनर्स) मनोविज्ञान की फीस बढ़ाकर 22,520 रुपये कर दी गई है, जो कि जीसस एंड मैरी कॉलेज जैसे डीयू के रेगुलर कॉलेजों में इस कोर्स की फीस से भी ज्यादा है। इसी तरह, अकादमिक वर्ष 2021-22 में बीए प्रोग्राम की फीस 4040 रुपये थी, जिसे 119.5 प्रतिशत बढ़ाकर, यानी 2024-25 में दोगुने से भी अधिक बढ़ाकर 8870 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, फीस ब्रेकअप से पता चलता है कि छात्रों से ‘विश्वविद्यालय विकास निधि’, ‘कॉलेज विकास निधि’, ‘विश्वविद्यालय सुविधाएं और सेवा शुल्क’, और ‘कॉलेज सुविधाएं और सेवा शुल्क’ आदि वसूले गए हैं। विडंबना है कि एसओएल छात्रों को एसओएल केंद्रों या विश्वविद्यालय में कोई सुविधा नहीं मिलती है। यहाँ तक कि छात्रों को विश्वविद्यालय में घूमने तक की भी अनुमति नहीं है।
इस संबंध में, यह ज्ञात हो कि एसओएल भारत का एकमात्र केन्द्रीय सरकारी शिक्षण संस्थान है जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा बिल्कुल भी वित्त-पोषित नहीं है। एक आरटीआई जवाब के अनुसार एसओएल को 1997 से केंद्र सरकार/यूजीसी द्वारा कोई फंड/अनुदान नहीं दिया गया है और यहां तक कि एसओएल में शिक्षकों/गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतन/पेंशन का भुगतान भी छात्रों की फीस से किया जाता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि डीयू अपने संस्थान के लिए यूजीसी से अनुदान की मांग भी नहीं करता है। डीयू और एसओएल द्वारा फंड जुटाने के लिए बड़े पैमाने पर फीस बढ़ोतरी की जाती है, जबकि छात्र न्यूनतम सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं। यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि जहां फीस में बढ़ोतरी की गई है, वहीं समय पर कक्षाएं शुरू करना और पर्याप्त संख्या में कक्षाएं आयोजित करना, गुणवत्तापूर्ण स्टडी मटेरियल का समय पर वितरण, विभिन्न अध्ययन केंद्रों पर पुस्तकालय सुविधा जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी छात्रों को वंचित किया जाता रहा है। इसके अलावा, फीस के माध्यम से एकत्र राशि का उपयोग एसओएल छात्रों के लिए सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए नहीं, बल्कि इसका एक बड़ा हिस्सा डीयू के अन्य कॉलेजों में निर्माण के साथ-साथ संदिग्ध निजी संस्थानों के साथ सांठगांठ कर ‘ब्यूटीशियन’ जैसे सेल्फ-फाइनैन्स कोर्स शुरू करने के लिए उपयोग किया जाता है।
केवाईएस मांग करता है कि स्टडी मटेरियल बिना किसी देरी के सभी को वितरित किया जाए, और इसके लिए दिल्ली-भर में पर्याप्त संख्या में वितरण केंद्र स्थापित किए जाएं ताकि छात्रों को असुविधा न हो, और फीस बढ़ोतरी तुरंत वापस ली जाए। अगर इन मुद्दों का समाधान नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में केवाईएस आंदोलन तेज करने की चेतावनी देता है।

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